एक कथा

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shashank sharma1
एक कथा
दो सभ्यता,
बुनी पटकथा
कर दी खता।
परतंत्र थे
न स्वतंत्र थे,
आतताइयों के
सब षड्यंत्र थे।
अपने ही कुछ
गद्दार थे,
उनके बढ़े
यूँ अत्याचार थे।
दोहराओ तुम
न भुलाओ तुम,
घाव दासता के
दिखलाओ तुम।
भूलेंगे न हम
बलिदान को,
बट्टा न लगे
कुलमान को।
उत्तेजित न
बस रक्त हो,
भारत मेरा
फिर सशक्त हो।
दिखलाओ तुम
फिर वह व्यथा,
होगीं न कुछ
असभ्यता।
एक कथा,
दो सभ्यता…॥

                                                         #शशांक दुबे

परिचय : शशांक दुबे पेशे से उप अभियंता (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना), छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश में पदस्थ है| साथ ही विगत वर्षों से कविता लेखन में भी सक्रिय है |

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