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कितना बदल गया है दिनमान आज का,
दुष्टों को मिल गया है वरदान आज का।
जड़ से सभी उखड़ गए,छोटे हों या बड़े,
सबको तबाह कर गया तूफान आज का।
जिसको भी देखिए वही फतुही पहन रहा,
खिलवाड़ हो गया है परिधान आज का।
सरकार कोई इस पर कोशिश करे भले,
संभव नहीं है खुद में अवसान आज का।
कहिए तो आजकल का अखबार दिखा दूं,
हैवान बन गया है इंसान आज का।
दुख-दर्द आदमी का मिटता नहीं कभी,
दुर्भाग्य बन गया है मेहमान आज का।
अच्छे बुरे की बिल्कुल पहचान मिट गई,
उपमेय बन गया है उपमान आज का।
गाली दो चाहे नीरव या आरती करो,
कुछ बोलता नहीं है भगवान आज का॥
#डॉ. कृष्ण कुमार तिवारी ‘नीरव’
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