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मां कसम … क्या गरम है रे भाई…
अच्छा नहीं लगता मक्खन मलाई
दो रोटी भी खाना मुश्किल
बदन करता पसीना से पिलपिल
पंखा का हवा बदन में नहीं लगता
पाड़ा में अड्डा मारने से घर वाली चिल्लाता
छत में सोने से मच्छर काटता…
मां कसम क्या गरम है रे भाई
पानी… जरा जल्दी आ रे भाई …
#तारकेश कुमार ओझा
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं | तारकेश कुमार ओझा का निवास भगवानपुर(खड़गपुर,जिला पश्चिम मेदिनीपुर) में है |
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