श्मशान घाट

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संसद भवन में नेताजी पर विपक्ष जोरदार प्रहार कर रहा था।
 “गांव के विकास और उन्नति के लिए नेताजी ने आज तक कुछ नहीं किया। जबकी वर्षों से गांव के लोग नेताजी को वोट देकर जितवाते आये है।” विपक्ष ने तंज कसा।
नेताजी बोले – आदरणीय सभापति जी महोदय। ये सत्य है की संबंधित गांव से हमेशा मुझे प्यार और सम्मान मिला है। वहां से पिछले पंद्रह वर्षों से मैं चुनाव में विजयी होता आया हूं। मगर विपक्ष का यह आरोप निराधार है कि मैंने संबंधित गांव मे कुछ नहीं किया। मैं आपको एक-एक कर गिनाता हूं की मैंने उक्त गांव में कितने विकास कार्य करवाये।
 आदरणीय सभापति जी, गांव में पिछले कई वर्षो से कोई भी पक्का श्मशान घाट नहीं था। इससे ग्रामीणों को बहुत परेशानी उठानी पढ़ती है। शव जलाने पड़ोस के गांव जाना पड़ता था। लेकिन कई बार तो वो पड़ोसी गांव के लोग संबंधित गांव के मरे हुये शवों को जलाने की अनुमति नहीं देते थे। कई मर्तबा मुर्दा को या तो जमींन में दफनाना पड़ता था या नदि-नालों में बहा दिया जाना पड़ता था। जब से हम चुनाव जीते कर आये है, हमने गांव की इस घोर समस्या पर गंभीरता से विचार किया। अधिकारीयों को बैठकें ली और उन्हें खूब दौड़ाया। दिल्ली से श्मशान घाट निर्माण का पैसा जारी करवाया तब जाकर आज उस गांव में एक बहुत ही अच्छा और बड़ा श्मशान घाट तैयार खड़ा है। हमने गांव वासीयों से साफ-साफ कह दिया अब खूब मरो और शान से जलो।
 इतना ही नहीं इसी गांव में एक भी शराब की दुकान नहीं थी। बेचारे गांव के लोगों को अपनी मेहनत मजदूरी का पैसा शराब में खर्च करने दूर हाइवे रोड़ पर जाना पड़ता था। हमने इसका भी हल निकाला। हमारी सरकार ने गांव में ही एक शराब की दुकान खुलवा दी जिससे की दिन भर के काम से थके-मांदे घर आये ग्रामीणों को गांव में ही अच्छी और सस्ती शराब का सेवन का करने सुख मिल सके और गांव वालों की मेहनत का पैसा गांव में ही रहे।
  और सुनिये सभापति महोदय, गावं वाले मेरे पास आये और निवेदन किया कि गांव में कोई स्कूल नहीं है। अतः मैं उनके बच्चों के लिए स्कूल भवन बनवा कर दूं। शिक्षा पाना सबका अधिकार है। हमारी सरकार ने गांव में 10 लाख रुपए की लागत से एक विशाल स्कूल भवन का निर्माण करवाया। मैं खुद शाला भवन का उद्घाटन करके आया हूं।
हां लेकिन हम ये कोशिश कर रहे है की स्कूल में जल्द ही कोई शिक्षक पढ़ाने के लिए नियुक्त हो जाए!
हमने गांव में एक वृहद पुस्तकालय खुलवाया है। और आपको बता दू अगले आम चुनाव तक उसमें देश-विदेश की पुस्तकें आम आदमी को पढ़ने के लिए उपलब्ध हो भी जायेंगी।
     हमने गांव में व्यायामशाला बनवायी है। जिसमें गावं के युवा अखाड़े के दांव पेंच सीखेंगे। साथ ही शारीरिक ह्रष्ट-पुष्प भी बनेंगे। बहुत जल्दी ही उस व्यायामशाला में वर्जिस करने का सांजों सामान हम उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे।
   गांव की आंगनबाड़ी में बच्चों को खाना नहीं मिलने की शिकायते हमारे पास आयी है। कोई बात नहीं। आंगनबाड़ी खुल रही है ये बड़ी बात है। उसमें बच्चों को खाना भी मिलने लगेगा। ऐसी हम कोशिश करेंगे।
गांव के स्वास्थ्य केन्द्र के ताले भी खुलेंगे और बहुत जल्दी डाक्टर भी वहां आकर गावं वालों का मुफ्त इलाज करेंगे। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। गांव वालों से आग्रह है की जरा चुनाव आने तक सब्र रखे।”
  नेताजी की बातों की उपलब्धियों से सदन तालियों से गुंजायमान हो उठा।
             #जितेंद्र शिवहरे

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।