बात-बात पर माईक पकड़ कर रोता कौन परिंदा, मगरमच्छ हक्का-बक्का देख हुआ बहुत शर्मिंदा। सेवक बता खुद को जा विदेशों में मौज करते, आए दिन कह मन की बात जनता को ठगते। विदेश मंत्री भ्रम में, करुं या न करुं शंका, तैयारी मैं करुं, पहुंचते हैं ये अमेरिका या श्रीलंका। […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
मेरे दिल की एक आरजू, तेरे दिल में बस जाऊं मैं। तेरे दिल में बस जाऊं मैं…l भेष बदलकर आता रहूँ मैं, हर उत्सव में शामिल होने। देकर अपनी सारी खुशियाँ तेरा घर महकाऊं मैं…ll पतझड़ का मौसम आए तो, छाया बनकर छा जाऊं मैं। सूनापन गर लगे तुझे तो, ग़ज़लें बनकर आँधी जाऊं मैं। मेरे दिल की एक आरजू…ll तेरे दिल की हर दीवार पर, तस्वीरें खूब सजाऊं मैं। आँगन में तेरे आकर, रंगोली नेक बनाऊं मैं ll बाहुपाश में तुझे झुलाकर, तेरा दिल बहलाऊं मैं। प्रीत करूँ तुझसे ऐसी, प्रियतम तेरा कहलाऊं मैं ll मेरे दिल की एक आरजू…l रंग-बिरंगी कलियाँ सीकर, प्रीत सेज की सजाऊं मैं। कंचन कामुकमय मूरत को, निज नयनों में बसाऊं मैं ll मादकता लहराते आँचल की, निज साँसों में बसाऊं मैं। तुझे नजर लगे न इस दुनिया की, `मनु` काजल बनकर सज जाऊं मैं l मेरे दिल की एक आरजू…ll झीने-झीने पट में जब तू, हौले-हौले मुस्काती है। अंग-प्रत्यंग तेरा कम्पन करता, आलिंगन में जब आती है। […]