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अच्छे दिन हम लाएंगे, देश का मान बढ़ाएंगे। चाहे कुछ भी हो जाए, अब मूर्ख नहीं बनेंगे।। आपस में नहीं लड़ेंगे, इतिहास नया लिखेंगे। प्रेम के फूल खिलाएंगे, आंतक को मिटाएंगें। चाहे कुछ भी हो जाए, अब मूर्ख नही बनेंगे। सबको हक दिलाएंगें, गरीबी समूल मिटाएंगे। चाहे कुछ भी हो […]

मन मत हो निराश, बड़ी सरस जिंदगी.. तू उसे समझने की, कोशिश तो कर। सिर्फ रात-दिन, सपने ही न देख.. उन्हें सच करने की, कोशिश तो कर। सब बातों को, नसीब पर न छोड़.. मसलों को हल करने की, कोशिश तो कर। चाँद पर पहुँची दुनिया, तू हौंसला रख.. कुछ […]

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एक अप्रैल को ही मूर्ख दिवस क्यों मनाते हैं, तीन सौ चौसठ दिन क्या होशियार हो जाते हैं? मुझे तो बचपन से मुर्ख बनाया जा रहा है, चांदी के बदले गिलट का टुकड़ा पकड़ाया जा रहा है। छोटे में माँ से कोई चीज मांगता था,रोता था, माँ बहला देती थी,नहीं.. […]

दिल में कुछ,दबा-सा है, कुछ अटखेलियाँ,कुछ नादानियाँ.. गुज़री बातों की कुछ निशानियाँ, वक्त जैसे कुछ,रुका-सा है.. दिल में कुछ,दबा-सा है…। कुछ ख़्वाहिशें,कुछ आशाएँ, कुछ हैरानियाँ,कुछ परेशानियां.. कोई शूल जैसे,चुभा-सा है, दिल में कुछ,दबा-सा है…। कुछ सपने,कुछ उम्मीदें, कुछ अलसाई-सी वो नींदें.. मन में कुछ,छुपा-सा है, दिल में कुछ,दबा-सा है…। कुछ […]

माँ तुम मेरी मूरत हो, हम बच्चों की तुम जरुरत हो। मिल जाए चाहे कितने भी यार, अनमोल माँ तेरा प्यार। माँ मैंने एक कविता सुनी है तेरे बिन मेरा आँगन सूना है। नदिया से बड़ा समंदर है, तेरी छवि मेरे दिल के अंदर है। माँ तेरा मीठा प्यार मैंने […]

मित्रों नमस्कार, हमेशा से ही मेरी कोशिश रही है कि, आयुर्वेद के मूलभूत को जन-जन तक पहुँचाऊँ और आयुर्वेद के इस प्रभाव को जनमानस से दूर करुं,जिस कारण वह आयुर्वेद को १०-२० जड़ी-बूटी वाली चिकित्सा पद्धति समझते हैं। इसी कारण से मैं कभी ऐसे अनर्गल योग नहीँ लिखता,जिनमें व्यक्ति को […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।