अनकही सी लबों पे रूकी ख्वाहिशें   सहमी सी गुमशुदा सी .. हुई मुहब्बत में मैं लापता सी … इक खता की  हुई ख़ुद से भी मैं जुदा सी .. इक जफा जो .. बनी सजा हीं.. पर दबी रही रूह में उमर भर की वफ़ा भी हरकत लफ़्जों की […]

पहली बारिश में अपने तन-मन को भिगोता बचपन। प्रेमी के प्यार से अपने आपको बढाता बचपन। बोझ हंस-हंस के जिन्दगी का यूँ ढोता बचपन। कहीं खाना परोसता,कहीं बर्तन धोता, कहीं सडकों के फुट-पात पे यूँ अधनंग सोता। खेल की उम्र में बचपन को खोता बचपन। बोझ हंस-हंस के जिन्दगी का […]

वो आवाज था हर युवा का जन चेतना का संचार किया। राष्ट्र वाद का बोध कराकर विचार क्रांति का सूत्रपात किया। विश्व बंधुत्व का संदेश देकर नव युग का निर्माण किया। धर्म सभा मे हिंदुस्तान का ऊंचा नाम किया। है धन्य धरा भारत भूमि नरेंद्र को जिसने जन्म दिया, वह […]

तेरे ख़्वाबों से है वास्ता कोई इन निगाहों से है रास्ता कोई उसे देखके मैं खिल उठता हूँ बच्चे में बसा है फरिश्ता कोई हमें तो हर धर्म की तहज़ीब है मेरा वतन ही है गुलिस्तां कोई चाँद जो यौवन के उरूज पे है मेरे महबूब सा है शाइस्ता* कोई […]

मोहब्बत ऐसी थी की, उनको बता न सके, चोट दिल पे थी, इसलिए दिखा न सके / हम चाहते तो नहीं थे, उनसे दूर होना, मगर दूरी इतनी थी, की हम मिटा न सके // ये बेवफा साँस लेने से, तेरी याद आती है, ये बेवफा साँस न लू ,तो […]

स्वयं को आत्मा मान लिया स्वयं के बारे मे जान लिया शरीर तो एक यन्त्र मात्र है आत्मा का एक घर मात्र है पांच तत्वों का यह खिलौना स्थाई नही नश्वर मात्र है आत्म स्वरूप रहते है जो चमक नही खोते है वो परमात्मा याद उनको रहती खुशमिजाज रहते है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।