सुबह सुबह तुम श्रंगार सजा कर, कोमल फूलों को क्यों चुनती हो। शुर्ख गुलाबी साड़ी में तुम युवती, फूलों से ज्यादा कोमल लगती हो। सँभल सँभल कर तुम चुनना , इन नन्हे नन्हे कोमल फूलों को। पौधा भी जलता तुमसे सोना, ध्यान तुम्हें है रखना आहत न हो। एक बात […]

                                                       तू है मेरा मन मीत प्रिये, मैं तेरे ख्वाबों की मलिका। मिल बैठे यदि हम दोनों, मिट जाए बस खटका। तेरे लिए गुनगुनाऊँ गीत प्रिये, अपनी सूद बुद भूल खड़ी। चाँद को छत पर अब तकना, और तेरी […]

रंगरसिया छलिया ओ कान्हा, अब तुम कहाँ गए। फैला चारों ओर है अंधेरा, अब तुम कहाँ गए। यमुना सी यमुना न रही, गोकुल सा गोकुल न रहा। बृन्दावन की हरियाली, सब कुछ अब है बदल रहा। कहाँ गए तुम कान्हा, नक्से सारे बिगड़ गए। न रिश्तों में प्यार है बचा, […]

कितनी ईर्ष्या है भाई , इस कर्महीन जमाने में। यह कितनों को है लाई, महलों से झोपड़ियों में।कितनी ईर्ष्या है भाई , इस कर्महीन जमाने में। भाई भाई में नहीं बनती, रिस्ते हैं अब जेभो में। कितनी ईर्ष्या है भाई, इस कर्महीन जमाने में। क्यों करते हैं ईर्ष्या पता नहीं, […]

कुछ ख़ास नहीं  बस दिल  करता  है, तेरे संग जीने मरने का मन करता है। जब सामने तेरा चाँद सा मुखड़ा, आँखे नीली सागर सी। होंठ तेरे एक शराब का प्याला, तू लगती मधुशाला सी। कुछ ख़ास  नहीं  बस  दिल  करता है, तेरे संग जीने मरने का दिल करता है। […]

रफ़्ता रफ़्ता चल , ऐ जिंदगी। तुझे  दूर   तलक  जाना  है ।। मदहोशी का आलम , ऐ जिंदगी। तुझे अभी संभल कर चलना है।। बेशर्म सी खामोसी , ऐ जिंदगी। खोना नहीं सँभलना           है।। क्या है तकदीर की अगली चाल ,पता नही। बिछा बेईमानी का जाल जो पता नहीं।। मगरूर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।