‘कुछ शैल चीरने और हैं ; कुछ अरण्य लांघने और हैं। यूँ ही तो नहीं कहलाता कोई बाजीगर; कुछ नदीश तैरने और हैं। बटोही ! तुझे आज महीधर टकराना तो है …; ‘उस मंजिल तक’ जाना तो है…॥ मैं ठोकरों के डर से, चलना छोड़ूँ तो क्यों…? जीता ही कब […]
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‘गुनाह करके,बेगुनाह बनता है। जीने वाला भी,हद करता है …॥ यूँ न खामोश,समझ लीजिए उसे; जुबाँ अपनी जो,खामोश रखता है …॥ ज़िन्दगी जीना तो,है उसका काम; पल-पल यहाँ,जो मरता है…॥ उबलते दृगों में,नाम पढ़ अपना…; मुझे तो धुँधला-सा,ये दिखता है…॥ गाहे-बगाहे,बरस लीजिए ‘सावन’। तपस का कहर,बेज़ार करता है…॥ #टी.सी.’सावन’ परिचय […]