मैं धरती का दीप बनूंगा, दूर करूँगा अँधियारा। साक्षरता रूपी लहर चलाकर, शिक्षित करूँगा जग सारा। मैं धरती का पुष्प बनूंगा, पावन सुगंध फैलाऊगा। काँटे सारे स्वयं लेकर मैं, कोमल छाँव बिछाऊँगा। मैं धरती का खग बनूँगा, सदभावना फैलाऊँगा। समृद्धि गरिमा प्रतीक बनकर, झंडा ऊँचा उठाऊँगा। मैं धरती का कृषक […]