चले आओ सभी मिलकर, बनाएं  नाव  कागज की ।   हुई बरसात है कितनी गली में भर गया पानी । सुनो राजू, सुनो मन्नू, सुनो तो राधिका,रानी ।।   इसी पानी में तैराएं,  हमारी नाव कागज की ।   रखी है मेज  पर  कॉपी, चलो पन्ने निकालें हम । मगर […]

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कभी मत सोचना साजन हिया से दूर जाने कीll   पिया से दूर रहकर क्यों  जिया   बेचैन   होता  है, मनोरथ व्यर्थ हो जाता किसी का चैन  खोता है।   हृदय में चाह रहती है सदा प्रिय को लुभाने कीll   चली ठंडी हवा देखो  लिए मधुगन्ध फूलों की, […]

देश की  मेरे  सुबह  अनोखी  कितनी  प्यारी शाम है। हर रज कण चन्दन-सा पावन शोभा अमित ललाम है ll यहाँ हिमालय गंगा-यमुना, मुम्बई है चौपाटी है… कण-कण में फैली हरियाली, चन्दन जैसी माटी है। साँझ सुहानी  निशा  सलोनी  भोर  बड़ी अभिराम है। हर रज कण चन्दन-सा पावन शोभा अमित ललाम […]

आ भी जा पास अब मेरे मोहन। अब  तुझे  टेरने  लगा है   मन॥ रात  काली डरा रही है हमें। बिन तुम्हारे नहीं कटे जीवन॥ राधिका आ  बसो  भवन मेरे। है सुहाना बड़ा सुघड़ आँगन॥ वक्त  करवट बदल रहा है यूँ। ग्रीष्म के बाद आ गया सावन॥ सांवरा बस रहा […]

व्यास जी बोले- एक दिवस नैमिष निर्जन में।  शौनकादि ऋषि बैठे वन मेंll  चिंतित जग की दशा निहारें।  तभी  सूत जी  वहाँ  पधारेll  लगे पूछने सब मिल उन से।  वांछित फल मिलता किस व्रत सेll  कहा   सूत ने   नारद ने  भी।  पूछा  कमलापति  से  यह  हीll  प्रभु ने […]

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डाल कटी तो बरगद रोया, उतरी छाल न पीपल सोया कटहल जामुन आम अभागे, निम्ब वृक्ष ने धीरज खोयाll   साथ मिला अमरूद डाल का, चली कुल्हाड़ी खट्टम खट गिरीं डालियाँ सब कट-कटll   घहर घहर घहराया कटहल, हहर हहर हहराया पीपल ठूँठ हुई बरगद की छाती, सूना हुआ धरा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।