इक छोटा सा वायरस,दहशत में संसार।
कोरोना ने रोक दी,जीवन की रफ्तार।।
साफ-सफाई स्वच्छता,साबुन का उपयोग।
कोरोना की श्रृंखला,तोड़ेंगे हम लोग।।
धर्म,जाति,मज़हब नहीं,ऊँच,नीच ना रंग।
कोरोना का वायरस,करे सभी को तंग।।
क्यों दें हम परिवार को,जीवन भर की टीस।
दृढ़ता पूर्वक काट लें,घर में दिन इक्कीस।।
रखें दूरियाँ जिस्म से,दिल से रहिए पास।
मिट जाएगी आपदा,मन में हो विश्वास।।
कोरोना का कायदा,करता है यह योग।
दूर दूर हम सब रहें,लाइलाज यह रोग।।
हाथों को धोते रहें,धोते रहें रुमाल।
छूने से बचते रहें,आँख,नाक औ’ गाल।।
लापरवाही कर गए,बड़े-बड़े कुछ देश।
हालत पतली हो गई,बदल गया परिवेश।।
राई का पर्वत करे,फैलाते अफवाह।
राष्ट्रद्रोह समकक्ष है,यह संगीन गुनाह।।
धन्वंतरि के वंशजों,क्यों देते हो जान।
आयुर्वेद से खींचिए,कोरोना के कान।
कमलेश व्यास कमल
उज्जैन (म.प्र.)