दिमाग़ खालीपन का शिकार हो चला था। कुछ दिन से कोई भी आइडिया काम नहीं कर रहा था। बाल मज़दूरी, भुखमरी, शहर के हर चौराहे की रेड लाईट पर करतब दिखाकर भीख मांगती गंदी-गंदी बच्चियाँ, कन्या-भ्रूण हत्या, स्टेशन पर शताब्दी के रुकने पर अपटूडेट मुसाफ़िरों द्वारा छोड़ी गयी जूठन […]