आज द्रवित भावों को उन्मुक्त हो, अविरल कागज़ पर बह जाने दो। छंदबद्धता की तोड़ सीमाओं को, कविता में ढल रच जाने दो। सशक्त जीवन के आधार लगे हिलने, रोको न इसे, ढह जाने दो। परिवर्तन का चक्र धड़ाधड़ भागे, स्वीकारो परिवर्तन व्यर्थ न जाने दो। नवजीवन अंकुर भविष्य […]