सहमीं छितराती बदली देवदार की ऊंगली पकड़ पहाड़ के सीने पर सिर झुकाए खड़ी है। प्रवासी प्रेमी का रूदन रिमझिम बरसकर कंदराओं से झर जड़ों में जम रहा। पल्लव से चिपकी बूंदें हवा से बतियाते हुए धीरे धीरे फिसल नदी में विलीन। उन्मादी मन पंछी चोंच में सपने दबाए टहनियां […]