मेरे सामने दराज खुली पड़ी है, दराज में पत्रों की पिटारी है। अंतर्देशीय, लिफ़ाफ़े, पोस्टकार्ड, पत्र खुले, सहसा अतीत खुल गया। पत्रों में से चेहरा अम्मा का उभर आया। ’बिटिया, तुम्हारी चिंता बहुत रहती है। लाडो, तुम्हारी याद भी बहुत आती है। सावन में आ रही हो न! तुम्हारी पसंद […]