हाय! जल गई अग्नि-ज्वाल में, पद्मिनी संग सहस्त्रों रानियाँ। छू नहीं पाया बदन खिलजी, रही केवल राख निशानियाँ॥ लाज देह देश धरती की, कुर्बानी देकर बचा लिया। छल से पकड़ कैद कर राणा, को खिलजी ने दगा दिया॥ गोरा बादल वीर बांकुरे, शान थे राजपूताना के। गढ़ चितौड़ के नर […]