जब से आकर शहर में रहता हूँ, इक अजीब से सफर में रहता हूँ॥ खुल के हँसना व रोना भी मना है क्यूंकि मै किराये के घर में रहता हूँ॥ पेड़ों के पक्ष से है रिश्ता मेरा गहरा मै बाहर अक्सर दोपहर में रहता हूँ॥ दोस्त मेरे मुझको देखकर भागते […]

चौकी-चूल्हा छोड़ चली है देखो अब भारत की नारी। देशहित में रण में पहुँची है अब भारत की ये नारी॥ बन रानी झांसी की देखो कहर अपना बरपाएगी। कल तक शबनम थी देखो,आज शोला बन झुलसाएगी॥ चली है रण में लिए हौंसला,जलवा नया दिखाएगी। प्रहरी-रक्षक बन ये,अपने लाज वतन की […]

गरीब की आंखें पथराई-सी, देख रही है झोपड़ी में न खाने के लिए आटा, न पहनने को कपड़ा न मां की दवाई, न बहन का रिश्ता न भाई की पढ़ाई, और फटी-सी साड़ी में जीवनसंगिनीl खिलौने न होने पर बिलखते बच्चे, इतना देखा ही था के इन आंखों से बहने […]

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जैसे ही वह जेल में पहुंचा, उसे एक ‘स्पेशल सेल’ में ले जाया गया। उसने संतरी से पूछा-‘ये मुझे कहाँ ले जा रहे हो, क्या मुझे सामान्य कैदियों की तरह उनके साथ नहीं रखा जाएगा?’ ‘नहीं बाबा, जेलर साहब ने जेल में आपके जैसे सब दूतों के लिए अलग सेल […]

हाथों में अंगार दिल में ज्वाला लिए निकला हूँ, आज फिर सीने में हिन्द की तस्वीर लिए निकला हूँ। माँ भारती का पुत्र हूँ॥ आँखों में जोश तो दिल में दर्द लिए निकला हूँ, हिन्द का सिपाही हूँ,नारा जय हिन्द के लिए निकला हूँ। हाथों में खड्ग,ढाल,बारूद लिए निकला हूँ॥ […]

पैगाम… प्रीतम के पते पर भेजा, तो बादल डाकिया बन आ गया वृष्टिपत्र लेकर। प्रीतम ने जो लिखा प्रेम का अक्षर-अक्षर। बारिश की बूंदों में झरा वो झर झर झर ……। बूँदों का स्पर्श पाकर, काया में सिहरन हुई। आज फिर विरह में तड़पकर, प्रेमाग्नि चेतन हुई। मीठा-मीठा दर्द उठ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।