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जैसे ही वह जेल में पहुंचा, उसे एक ‘स्पेशल सेल’ में ले जाया गया। उसने संतरी से पूछा-‘ये मुझे कहाँ ले जा रहे हो, क्या मुझे सामान्य कैदियों की तरह उनके साथ नहीं रखा जाएगा?’
‘नहीं बाबा, जेलर साहब ने जेल में आपके जैसे सब दूतों के लिए अलग सेल बना रखी है, यहां सिर्फ उन बाबाओं को रखा जाता है जिन्होंने आम लोगों को खुद को भगवान का दूत बताकर बरगलाया है और मासूम लड़कियों के साथ कुकर्म किया है।’ -संतरी ने उसे सेल के गेट से अंदर धकेलते हुए कहा।
‘तुम्हारे जेलर को मैं देख लूंगा, जानते नहीं मेरी पहुंच बहुत ऊपर तक है।’- बाबा ने झुंझलाहट में कहा।
‘पहुंच ऊपर तक है तो,ऊपर जाने की तैयारी कर। हमारे जेलर भी कालिया फ़िल्म के जेलर रघुवीर सिंह हैं, साला!बात करता है।’-संतरी ने सेल का ताला ठोंकते हुए कहा।
संतरी के चेहरे की चमक से लगता था, मानो उसने आधुनिक बाबाओं की किस्मत का ताला लगा दिया हो।
#संदीप तोमर
परिचय : 1975 में दुनिया में आने वाले संदीप तोमर गंगधाडी जिला मुज़फ्फरनगर (उत्तर प्रदेश ) से वास्ता रखते हैं एमएससी(गणित), एमए (समाजशास्त्र व भूगोल) और एमफिल (शिक्षाशास्त्र) भी कर चुके श्री तोमर कविता,कहानी,लघुकथा तथा आलोचना की विधा में अधिक लिखते हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में ‘सच के आसपास (कविता संग्रह)’,’टुकड़ा-टुकड़ा परछाई(कहानी संग्रह)’उल्लेखनीय है। साथ ही शिक्षा और समाज(लेखों का संकलन शोध प्रबंध),कामरेड संजय (लघु कथा),’महक अभी बाकी है’ (सम्पादित काव्य संग्रह), ‘प्रारंभ’ (साझा काव्य संग्रह),’मुक्ति (साझा काव्य संग्रह)’ भी आपकी लेखनी की पहचान है। वर्तमान में आप नई दिल्ली के उत्तम नगर में रहते हैं।
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