कोई तो होगा जिसे हम अपना कहा सके / दर्द दे दिल का हाल उसे, सुना सके / और वो मेरे घावो पर हलकी सी मलम लगा सके / और दर्द दे दिल के गम को वो मिटा सके/ और वो मुझे अपना बना सके / क्या कोई ऐसा दोस्त […]
jain
मैंने तो सिर्फ आपसे प्यार करना चाहा था ख़ाहिश-ए-ख़लीक़ इज़हार करना चाहा था धुएँ सी उड़ा दी आरज़ू पल में यार ने मिरि तिरा इस्तिक़बाल शानदार करना चाहा था भले लोगो की बातें समझ न आईं वक़्त पे मैंने तो हर लम्हा जानदार करना चाहा था तिरे काम आ सकूँ इरादा था बस इतना सा तअल्लुक़ आपसे आबदार करना चाहा था इंतिज़ार क्यूँ करें फ़स्ल-ए-बहाराँ सोचकर चमन ये ‘राहत’ खुशबूदार करना चाहा था #डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 655