दूर-दूर तक जिंदगी के आखरी नजारे देख रहा हूँ, बीमारी की हालत में जाते हुए लम्हें देख रहा हूँ। हर शख्स चेहरे की किताब नहीं,जिसे तुम पढ़ लो, अपने दर्द की नजाकत में मौत के जर्रे देख रहा हूँ। वो एक फरिश्ता आएगा आसमां से,ले जाने मुझे, उसी के आने […]

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दिल जलाया इस कदर कि राख हो गया, उनकी नजरों में मेरा रिश्ता खाक हो गया। जो चाहने लगे हैं,वो सताने लगेंगे एक दिन, पास आकर एहसान जताने लगेंगे एक दिन… जरा सा संभलकर रहना इन चाहने वालों से, अक्सर औकात याद दिलाने लगेंगे एक दिन.. दिल जलाया इस कदर…….। […]

एक राज्य का बहुत बड़ा राजा था,जो निःसंतान था। वह बहुत ही बड़े राज्य का राजा था,पर संतान न होने की वजह से बेहद परेशान रहा करता था।उसे यह चिंता हमेशा सताती कि मेरे बाद इस राज्य का राजा कौन होगा, मेरी जनता की देखभाल कौन करेगा। वह राजा बेहद […]

अभी-अभी कलम पकड़ूँ कोई कलाम पढूं या कलमा इबादत करूँ आदम की खुदा की बुत परस्ती करूँ गर्मी को सहलाऊँ या की शब्दों से पत्थर पिघलाऊँ। नंगे पांव चलूँ मीलों तक पानी भरने या मेघों पर आस लगाऊं अपने पाँवों के छाले देंखू या परिजन का दर्द थोड़ा-सा सहलाऊँ। अख़बारों […]

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शहीदों की शहादत को भुलाया जा नहीं सकता, जखम गहरे हों दिल के,पर दिखाया जा नहीं सकता। जवानी के दिनों में ले लिया था देशव्रत जिसने किए अहसान इतने कि चुकाया जा नहीं सकता। बड़ी मुद्दत से मिलते हैं वतन के लाल ये न्यारे, किसी कच्चे घड़े को यूं पकाया […]

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अब मिलना चाहता हूँ, सरहद के उस पार से.. कब तक रोकोगे हमें, कब तक बांधोगे हमें.. मिलना है अपने यार से, सरहद के उस पार से..। मत रोको हमें हम इंसान हैं, न हिन्दू हैं ना मुसलमान हैं.. मिलना है हमें इंसानों से, वो मिले इस पार से.. या […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।