जो शेष बच गया शून्य नहीं था ,प्यार था.. जीवन शान्त कोलाहल का एक ज्वार था दुख की सीमा सन्तापों में सुख के अप्रतिम प्रलापो में शब्दो से विचलित भावो में सकुचे सिमटे से बाहो में सुख का झीना संसार था जो शेष बचा गया शून्य नहीं था, प्यार था.. […]

  भूख तुम कुछ भी हो कविता नहीं हो/ कहानी,ग्रंथ,निबंध भी नहीं; सब भोथरे है तुम्हारे आगे, बदलती रही है प्रासंगिकता इनकी समय के साथ / तुम नहीं बदली तुम्हारा होना ही प्रमाण है, तुम्हारी अमरता का सदियों से विचरती रही तन मन धन के वास्ते कभी “मधु” के चावल […]

भर – भर आँसू से आँखें , क्या सोच रहे मधुप ह्रदय स्पर्श , क्या सोच रहे काँटों का काठिन्य , या किसी स्फूट कलियों का हर्ष ? मन्द हसित , स्वर्ण पराग सी , विरह में प्रिय का प्रिय आह्वान , या सोच रहे किस- क्रुर प्रहार से छुटा […]

ये जो नक्सलवादी हैं नेता नहीं फसादी हैं। बातों से कब मानेंगे जो जूतों के आदी हैं। मसले से क्या है मतलब जो केवल उन्मादी हैं। गाँधी जी से क्या मतलब केवल कपड़े खादी हैं। लोक नहीं है भेंड़ हैं ये बस गन्ने की फांदी है । लोक तंत्र की […]

चीखता अंतर्मन बचपन कराहता टूटता कुछ भीतर तक जब जनक, जननी एक दूसरे का करते परित्याग — जन्म मिलकर दोनों ने दिया संरचित किया एक मांस पिंड को जीव में किया तब्दील जान फूंक दिया उस लोथड़े में फिर ये कैसा आघात — लगाते एक दूसरे पर आरोप, प्रत्यारोप दिखाते […]

यहाँ मिल बांट खाया जा रहा है हमें उल्लू बनाया जा रहा है । किया था जुर्म देखो आदमी ने किताबों को जलाया जा रहा है । किसी की जिंदगी में कर अंधेरा कहीं दीपक जलाया जा रहा है । हमारे छीनकर बच्चों से रोटी वहाँ कुत्ता खिलाया जा रहा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।