देश आज एक ऐसे कगार पर आकर खड़ा हो गया जहाँ पर धन की लालसा बिलकुल साफ दिखने लगी है इसी कारण मौत और जीवन में अंतर बिल्कुल साफ नजर आने लगा है। यदि शब्दों को बदलकर कहें तो शायद गलत नहीं होगा कि एक बार फिर न्यूनतम एवं मध्यम […]

भारत दुनिया के मुकाबले स्वास्थ्य सेवाओं पर सबसे कम खर्च करती है हमारे यहां जीडीपी का मात्र 1•२% ही स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जाता है।वक्त आ गया है कि अब इसमें अच्छी खासी बढोतरी की जाय। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति ने तो राज्य सरकारो को 8-10% तक बजट में खर्च […]

एक तो महामारी और उपर से निगरानी तंत्र की गैर जिम्मेदाराना रवैया सिस्टम पर ही सवालिया निशान छोड़ रहा है।यह बात मैं नही यह आंकड़े कह रहे हैं।चारो तरफ हाहाकार है ऐसे में बडी मात्रा में टीका का बर्बाद होना सवालिया निशान खड़ा करता है।अब तक देश में लगभग 44-45 […]

यह लेख मुझे सफदर इमाम कादरी का पढ़कर लिखा है। साहित्यिक पत्रिकाएँ कविता की नब्ज होती हैं। हम आसानी से उनकी रचनाओं में पाए जाने वाले साहित्यिक पैटर्न से पता लगा सकते हैं कि इस अवधि का कौन सा साहित्य आकार ले रहा है और कौन से सामान्य या विशेष […]

सदियों से हमारा भारत बहु संस्कृति, बहुभाषी ,बहु मान्यताओं का केंद्र रहा है ।जहां सभी को स्वतंत्र रूप से अपनी अपनी आमनाओ, परंपराओं के साथ जीवन निर्वाहन करने का अधिकार रहा है क्योंकि इस देश की महान जलवायु मैं ही हिमालय की शीतलता है तो थार के मरुस्थल की उष्णता […]

कोरोना महामारी की दूसरी दस्तक कुछ ज्यादा ही जोर पकड रही है। उम्रदराज लोगों से कही अधिक युवाओं पर इस वायरस का प्रहार हो रहा है। चिकित्सक स्वयं कोरोना के इलाज पर विश्वास के साथ कुछ नहीं कह पा रहे हैं। विश्व स्वास्थ संगठन नित नयी संभावनायें व्यक्त कर रहा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।