सकल घरेलू उत्पाद का 8% स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जाना चाहिए।

0 0
Read Time5 Minute, 12 Second

भारत दुनिया के मुकाबले स्वास्थ्य सेवाओं पर सबसे कम खर्च करती है हमारे यहां जीडीपी का मात्र 1•२% ही स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जाता है।वक्त आ गया है कि अब इसमें अच्छी खासी बढोतरी की जाय। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति ने तो राज्य सरकारो को 8-10% तक बजट में खर्च करने की बात कही है।जो औसतन 4-5% ही खर्च कर पाते हैं।

आज स्वास्थ्य सेवाओं का चरमराना आम लोगो पर भारी पड़ रहा है। वेड, वेंटिलेटर,आईसीयू, दवाएँ और ऑक्सीजन जैसी जरूरी सामान की किल्लत ने न जाने कितने ही परिवारों को निगल चुकी है ।अच्छी स्वास्थ्य सेवा का होना अनिवार्य है जो कि सरकारें ही सुनिश्चित कर सकती है और सरकारो को भी जात-पात, आरक्षण से परे हटकर दायरा बढाना होगा ।आज चारो तरफ किल्लत ही किल्लत है आखिर क्यूँ? क्या बजट के प्रावधानों में स्वास्थ्य की अहमियत नही रही?क्या सरकारे सिर्फ जात पात और सब्सिडी बांटने परअपना ध्यान और क्षमता को केन्द्रित करती रहेंगी आखिर कबतक?

देश की स्वास्थ्य और उनसे जुड़े हुए सारी सेवा को चाकचौबंध करना ही होगा और बजट के दायरे को बढाये वगैर ऐसा संभव नहीं है।इस महामारी काल ने हमारे सफेद पोश की सफेद झूठ का पोल इस तरह खोला है कि चारो ओर चीख पुकार सुनने को मिल रही है क्या यही अच्छे दिन की परिभाषा है या फिर सरकारों की मनमौजी ।आखिर राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति की बातों को अनदेखी क्यों हो रही है।जब हम स्वस्थ्य ही नही रहेंगे तो एक रूपये गेहूँ और एक रूपये चावल बांटने की नीति का क्या करेंगे?

वैसे देखा जाय तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में अमूल्य परिवर्तन हुए हैं लेकिन यह सिर्फ चंद शहरो तक सीमित हैं जबकि ग्रामीण स्तर पर या फिर जिला स्तर पर यह परिवर्तन होनी चाहिए जो सिर्फ और सिर्फ बातो से नही अपितु जमीनी स्तर पर करना ही होगा वैसी कार्य प्रणाली और सेवा प्रणाली को सुदृढ करना होगा जो स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यो को जिम्मेदारीपूर्वक करें सभी सरकारों को स्वास्थ्य के लिए पहली प्राथमिकता के साथ तवज्जो देनी होगी और समस्याओ के निदान कर्मठ व योग्य चिकित्सको को लाना होगा।यह सभी कार्यो को तभी अमलीजामा पहनाया जा सकता है जब बजट हो और उसका इस्तेमाल सही तरीके से हो तो कुछ भी संभव है ।

हम आबादी के हिसाब से भी देखे तो एक वेहतर स्वास्थ्य लाभ के लिए 2500 से 5000 की आबादी पर एक डाक्टर और एक नर्स का होना अनिवार्य माना जाएगा।लेकिन जब हम ऑकडो पर आते है तो ग्रामीण क्षेत्रो में यह 50,000और शहरी क्षेत्रों में 25,000 पर पहुँच जाता है ऐसे में एक अच्छी स्वास्थ्य सेवा का सपना देखना लोगो पर भारी पड़ रहा है और सरकारें विकास का वखान करती नजर आ रही हैं जबकि हकीकत सबके सामने है।

संविधान के 74वें संशोधन कहता है कि नगर निगम और नगरपालिका जैसे स्थानीय शहरी निकायों का कर्तव्य है कि वे शहरी क्षेत्र में प्राथमिक और व सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करावें।स्वास्थ्य के लिए हर किसी की प्राथमिकता देनी होगी चाहे वह पंचायत प्रतिनिधि हो विधायक हो सांसद अथवा मंत्री।

आज यह महामारी हमारी सिस्टम और प्रचारित कार्यप्रणाली की कलई खोल रही है और सभी मूकदर्शक बने हुए है जबकि जिन्दगी दम तोड़ने पर विवश है।कोई वेड खोज रहा, कोई ऑक्सीजन, तो कोई डाक्टर, कोई अस्पताल,कोई एम्बुलेंस, कोई श्मशान, ऐसा हिन्दुस्तान विवश और लाचार कभी नही दिखा इस महामारी ने सबको लाचार बना डाला है चाहे वह सरकारें हो या आम जनता।
आशुतोष
पटना बिहार

matruadmin

Next Post

हमारी यार

Sat Apr 24 , 2021
पुस्तकें हमारी यार हैं, ज्ञान का भण्डार हैं। कर लो इनसे दोस्ती, जीवन का ये सार हैं। सूरज इनमें तारे इनमें, बादल भी इनमें बरसें-2 ओ……….. इनमें भी चलती पुरवैया, खुशियाँ इनसे बरसें-2 पुस्तकें हमारी…….. राजा रानी की किस्से हो, या परियों के कहानी-2 ओ…….. भालू बन्दर की शैतानी हो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।