शिव ने शक का सर्प ले, किया सहज विश्वास। कण्ठ सजाया,धन्यता करे सर्प आभास। द्वैत तजें,अद्वैत वर, तो रखिए विश्वास। शिव-संदेश न भूलिए, मिटे तभी संत्रास॥ नारी पर श्रद्धा रखें, वही जीवनाधार। नर पर हो विश्वास तो, जीवन सुख-आगार॥ तीन मेखला तीन गुण, सत्-शिव-सुंदर देख। सत्-चित्-आनंद साध्य तब, धर्म-मर्म कर […]
varma
बचपन से सबको यही कहते सुना है औरतें देवी स्वरूप होती हैं। सुंदर वर्ण,सर्वगुण संपन्न,नारी की ऐसी कल्पना ही क्यूं होती है। आत्मनिर्भर,अभेय ,प्रतिभावान,कुछ ऐसी परिभाषाएं भी तो होती है॥ क्या सच में औरतें देवी का रूप होती हैं ? मां-बहन-पत्नी-बेटी,हर किरदार निभाती है। अग्निपरीक्षा हो या शादी का रिश्ता,हर […]