धनिया धनवन्ती जी बनकर, झाड़ू-पोंछा-बर्तन तज कर बनकर सुशिक्षिता गाँवों में, अपना उद्योग चलाएगी। कोई न किसी का चर होगा, मजदूर-कृषक साक्षर होगा जब रधिया कोरे कागज पर, अंगूठा नहीं लगाएगी। जब तज कर यह बंदूकराज, आतंकहीन होगा समाज कोई गोली आकर गांधी का, सीना चीर न पाएगी। फिर मिलकर […]

दशहरे का दिन तुम देखो, आज फिर से आया है। हर गली-मुहल्ले में, फिर रावण जलाया है॥ बुराई का अंत हुआ था, विजय राम ने पाई थी। अयोध्या को मिले राम फिर, घर-घर बँटी मिठाई थी॥ स्वर्ग तुल्य बनी थी धरती, रामराज्य ने जन्म लिया। बजरंग बन इस दिन शिव […]

चाह नहीं है देवों की सी सुबह-शाम पूजा जाऊं। इतनी-सी चाह इस दिल की, मानव का मैं सम्मान पाऊँ॥ चाह नहीं है इतनी भी कि ‘रमा’ मेरी दीवानी बने। इतनी-सी चाह इस दिल की, ‘लक्ष्मी’को मैं शीश नवाऊँ॥ स्वर्ग मुझे भी मिले,यह भी अब चाह नहीं है मुझे। इतनी-सी चाह […]

ऐ मेरे मालिक आता हूँ तुझसे मिलने, रोज तेरे मंदिर में कुछ दुख के बहाने-मुफ़लिसी के बहाने खुद को नई राह दिखने तो कभी तुझे जगाने, कभी खड़ा होता हूँ तेरे सामने रोता हूँ-दुआएं मांगता हूँ, जिसने जो कहा वही जतन करता हूँ, पर बेकार जाती हैं मेरी अर्ज़ी शायद […]

हिंदी न सिर्फ भाषा है, ये  हमारी  माता  है। कुछ मंदबुद्धि इंसानों के कारण, आज इसकी हो रही उपेक्षा है। माँ के प्यार में, पापा के दुलार में बड़ों की डांट-फटकार में, प्रत्येक रिश्ते में हिंदी बसता है। युवा अंग्रेजी पर अभिमान करता है, हिंदी बिना उनका अधूरा ज्ञान रहता […]

`हिन्दी दिवस` विशेष……… छात्र जीवन में अनायास ही एक बार दक्षिण भारत की यात्रा का संयोग बन गया। तब तामिलनाडु में हिन्दी विरोध की बड़ी चर्चा होती थी। हमारी यात्रा ओड़िशा के रास्ते आंध्रप्रदेश से शुरू हुई और तामिलनाडु तक जारी रही। इस बीच केरल का एक हल्का चक्कर भी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।