“मृत्यु जीवन का शाश्वत सत्य है ।, जीवन मिट्टी से मिट्टी तक की यात्रा है।, अर्थी से पहले जीवन का अर्थ जान ले।“ ये बोध वाक्य हर बार उस समय याद आते है जब हम किसी को श्मशान में छोड़ने जाते है और शोकसभा के कक्ष की दीवारों पर अपनी […]
भारतीय लोक परंपरा के जनकवियों में संत कबीर का नाम सबसे अग्रणी है । कबीर गृहस्थ संत थे, भक्त थे ,कवि थे जीवन चर्या के लिए जुलाहे थे । पर इन सबसे अलग वे चिंतक थे, स्पस्टवादी थे ,युग दृष्टा थे और तर्क की कसौटी पर हर बात को कसने वाले थे । […]
कविता लिखना जितना आसान समझा जाता है उतना होता नहीं है। कवि को तात्कालिक परिस्थितियों का गहन अध्ययन करना पड़ता है, उन स्थितियों से जुझना पड़ता है। तब जाकर किसी रचना का निर्माण होता है। और फिर बाल साहित्य, बाल कविताओं का सृजन करना और भी कठिन कार्य है। […]
कविता सदा से ही मनुष्य के अंत:करण में उठे भावों को स्वर देने का एक सशक्त माध्यम रही है । समय के साथ कविता के विषय, शिल्प एवं भाषा में परिवर्तन होते रहे है। पुरातन विषय परिवर्तित होकर समसामयिक हो गये है पर अनेक विषय ऐसे है जो मनुष्य के […]
भूमिका- एक समय था जब समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। उस समय भारत परतंत्र था। समाज अशिक्षित था। चंद लोग ही शिक्षित थे। यह वह युग था जब अधिकांश लोग अपनी बात कहना तो चाहते थे किन्तु भाषा और लिखने की समस्या मुंहबांए खड़ी थी। शिक्षित वर्ग ने उनकी […]
“साथ नहीं देती परछाई” इंदौर के प्रसिद्ध आशुकवि प्रदीप नवीन का पहला ग़ज़ल संग्रह है। उनकी पूर्व में गीत, काव्य और व्यंग्य पर कृतियां प्रकाशित हो चुकी है। पाँच दशक से नवीन जी लेखन और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। लेकिन क्वालिटी से कभी समझौता नहीं करते हैं। यही वजह […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।