बरसते भादों का महीना है प्रिये तुमको भीगके जाना है बोलती कोयल कुहू-कुहू हमने तुम्हें ही अपना माना है शीतल समीर चलती, मोर नाचते कल-कल कहती नदी बहती हमारे हृदय का कहना है बरसते भादों का महीना है ताल-तलैया, पोखर लेतीं हिलोरे मन तुम्हारा, मन हमारा डोले तुमको लज्जा के […]