जिसको देखो वही शख़्स खोया हुआ, दर्द सबके दिलों में है बोया हुआ। तेरे आग़ोश में आ गया होश में, एक ज़माने से मैं तो था सोया हुआ। तेरे दिल में तो पहले से ही दर्द था, अब तो चेहरा भी लगता है रोया हुआ। मुझको दीवाना-ए-ग़म वो कहने लगे, […]
kumar
प्रकृति स्वयं में सौम्य सुशोभित,सुन्दर लगती है। देख समय अनुकूल हमेशा,सोती-जगती है॥ जब मानव की छेड़खानियाँ,हद से बढ़ जाती। जग जननी नैसर्गिक माता,रोती बिलखाती॥ लोभ मोह के वशीभूत हो,जब समता घायल। बिन्दी पाँवों में गिर जाती,माथे पर पायल॥ अट्टहास कर मानव चुनता,जब उल्टी राहें। महामारियाँ हँसकर गहतीं,फैलाकर बांहें॥ चेचक हैजा […]