जमाने की न जाने , ये कैसी बयार है… नेपथ्य में नायक, मगर खलनायकों की बहार है नाम से ज्यादा बदनामी की पूछ बजता डंका जोरदार है… नेक माने जा रहे बेवकूफ धूर्त – बेईमानों की जय – जयकार है अग्निपथ पर चलने वाले संघर्षशील कहला रहे बोरिंग हिस्ट्रीशीटरों की […]

तू है मेरा सनम, मुझे लागी लगन, बस इश्क है तुझसे तुझसे सनम। इसकी मुझको खबर, पर लगता है डर, दूर हो न जाए ,मुझसे मुझसे सनम  । बेताबियाँ दिल की बे खौफ करने लगी, अब दूरियाँ दिल को खटकने लगी। यही मेरा है हाल ,पर बताऊँ किसे, तूने भी […]

तो , हम , ने वफा , की है पर , उसका क्या , सिला मिला मुझे , दुख रजोगम का , बस इक दर्द , सिलसिला था , य़ा चिराग , क्यो था , गुल , मे , मेरे , दिल के , रोशनी के , कोनो से जब […]

डोरबैल क़ी आवाज सुनते ही रसोई से बोली प्रीति, डोर बैल की आवाज़ सुनते ही रसोई से बोली प्रीति,” ममा जरा देखना, रितु ही होगी । कह रही थी कुछ देर में आने को ।” सविता जी ने दरवाजा खोला तो रितु ही थी । ”हलो आंटी कैसी हैं ? […]

ख़त्म कर इन फासलो को कब हम इतने करीब आयेंगे हवा भी गुजरने की ले इजाजत हमारे दर्मियां ऐसे दिन कब आयेंगे समर्पण से भरी होगी हमारी कहानी, ज़माना जाने हमारे इश्क़ को, ऐसे दिन कब आयेंगे तू है सिर्फ मेरा इस बात का इल्म है मुझे, बुझेगी तुझे पाने […]

साहित्य की अनेक विधाएं हैं । इन विधाओं में से ही एक है – गद्य लेखन । काव्य को छोड़ दें तो अन्य विधाएं भी गद्य के अंतर्गत ही आती हैं । चाहे वे – एकांकी हों , उपन्यास हों , कहानियां हों , लघुकथाएं हों या सिने स्क्रिप्ट हों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।