खुद को सबसे दूर किया है उसने जब से मुझे मंजूर किया है उसने इश्क़ की राह इतनी आसान नहीं करके, जुर्म जरूर किया है उसने आँखें दरिया, लब समंदर हो गए हुश्न को ऐसे बेनूर किया है उसने खुद का अक्स साफ दिखता नहीं खुद को चकानाचूर किया है […]

मुझे भुला दिया तो रात भर जागते क्यूँ हो मेरे सपनों में दबे फिर पाँव भागते क्यूँ हो एक जो कीमती चीज़ थी वो भी खो दी अब बेवजह इस कदर दुआ माँगते क्यूँ हो इतना ही आसान था तो पहले बिछड़ जाते वक़्त की दीवार पे गुज़रे लम्हात टाँगते […]

भीड़ से डरता हूँ , और भीड़ से शिकायत है मुझे शुरू से अंत तक अकेले चलने की आदत है मुझे कोई रहबर,कोई रहगुज़र की कोई चाहत ही नहीं टूटते और बनते हुए रिश्तों से कुछ राहत है मुझे ख़ुशी अकेले कोई देता नहीं ,ग़म साथ में आता है सरे […]

मेरी अच्छाई ही मुसीबत है मेरी जहर पीने की बुरी आदत है मेरी मेरी आहों को अहसास बना लेता किसी खुदा की अब चाहत है मुझे दुश्मनों को साथ लिए फिरते हैं आले दर्जे की मोहब्बत है मेरी जो मिलता है, अपना लगता है फरिश्तों की ही सोहबत है मेरी […]

सब हादसे दिन में मुक़म्मल होते नहीं कभी रात को देर तलक भी जागा करो सपने कैसे नेस्तोनाबूत होते हैं हर कदम कभी नंगे पाँव नींदों में भी भागा करो हर शय दूर से खूबसूरत दिखती है जरूर सच के वास्ते चाँद को ज़मीं पे भी उतारा करो दिन में […]

बहुत अच्छा है कि खूबियाँ साथ ले के चलो मज़ा तो तब है कि खामियाँ भी साथ ले के चलो कामयाबी की तफ़्तीश पूरी नहीं हो सकती हो सके तो नाक़ामियाँ भी साथ ले के चलो नामदार होने का लुत्फ भी तभी है मियाँ जब कुछ बदनामियाँ भी साथ ले […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।