रूठे-रूठे यार मनाऊं, लिखूं कविता उसे सुनाऊं। दिल की धड़कन वो बन जाए, मैं उसकी तड़पन बन जाऊं। बेचैनी-बेताबी का आलम, कदम सम्भालो,मैं समझाऊं। दूर-दूर होने में क्या है, चूर-चूर न मैं हो जाऊं। तेरी बातों का ही असर, मत रूठो,मैं न खो जाऊं। ‘मनु’ पुकारे आ भी जाओ, कहीं […]
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धन्य जवान ये वीर भगत सिंह,जिसने स्व कुर्बान किया। हँसते-हँसते फाँसी चूमा, आजादी हित बलिदान कियाll स्वतंत्रता के हवन कुण्ड में अपनी आहुति देकर, इंकलाब के नारे का `मनु`युवा दिलों में आह्वान कियाll इंकलाब की गूँज उठी,तब हर दिल में बसा तिरंगा था। जब आजादी की लपटों से मौसम का रंग सुरंगा थाll भारत माँ भी धन्य हुई तब पहन के चुनर बलिदानी, जिस चुनर को भगत सिंह ने रंग बंसती रंगा थाll युवाओं के दिल में मचलता जोश है भगत सिंह। इंकलाब जिंदाबाद का उद्घोष है भगत सिंहll गूँगे-बहरे कुशासन को जगाती बुलंद एक आवाज, जो अंग्रेजी आँधी में भी जलती रही,वो जोत है भगत सिंहll सरफरोशी की तमन्ना दिल में लिए जो बढ़ चलाl आजादी की पुस्तकों में अमिट गाथा गढ़ चलाll मेरी कुर्बानी से जन्मेंगें सैकड़ों भगत सिंह कह- सौंपने स्वयं को बलिदानी तख्त पर चढ़ चलाll #मनोज कुमार […]
मेरे दिल की एक आरजू, तेरे दिल में बस जाऊं मैं। तेरे दिल में बस जाऊं मैं…l भेष बदलकर आता रहूँ मैं, हर उत्सव में शामिल होने। देकर अपनी सारी खुशियाँ तेरा घर महकाऊं मैं…ll पतझड़ का मौसम आए तो, छाया बनकर छा जाऊं मैं। सूनापन गर लगे तुझे तो, ग़ज़लें बनकर आँधी जाऊं मैं। मेरे दिल की एक आरजू…ll तेरे दिल की हर दीवार पर, तस्वीरें खूब सजाऊं मैं। आँगन में तेरे आकर, रंगोली नेक बनाऊं मैं ll बाहुपाश में तुझे झुलाकर, तेरा दिल बहलाऊं मैं। प्रीत करूँ तुझसे ऐसी, प्रियतम तेरा कहलाऊं मैं ll मेरे दिल की एक आरजू…l रंग-बिरंगी कलियाँ सीकर, प्रीत सेज की सजाऊं मैं। कंचन कामुकमय मूरत को, निज नयनों में बसाऊं मैं ll मादकता लहराते आँचल की, निज साँसों में बसाऊं मैं। तुझे नजर लगे न इस दुनिया की, `मनु` काजल बनकर सज जाऊं मैं l मेरे दिल की एक आरजू…ll झीने-झीने पट में जब तू, हौले-हौले मुस्काती है। अंग-प्रत्यंग तेरा कम्पन करता, आलिंगन में जब आती है। […]
तेरे अहसास के आगोश में, सोना भी खूबसूरत सपने जैसा लगता है। रातें भी उनींदी-सी लगती है कि, कोसों दूर भाग गई नींद जैसे… मेरा सुकून मुझसे दगा कर गया , इसकी वाजिब वजह हो तुम… हँस पड़ता हूँ कभी-कभी तुझे याद करके यूँ ही… और कभी खो जाता हूँ, हँसते-हँसते तुझमें। आँखें भी मुझसे धोखा कर गई,तेरा ही अक्स दिखाती है हर किसी में… लगता है तेरा वजूद रमा हुआ है मेरे अस्तित्व में, कि पहचान हो जैसे… एक-दूसरे की हम-तुम। बनी रहे ये पहचान सदियों तलक कि तुम भी मेरे अहसास में खो जाओ, कुछ ऐसा करें आओ, कि हम तुमसे पहचाने जाएँ… `मनु` तुम हमसे जाने जाओ, तुम हमसे जाने जाओ…ll […]