गुरू बिन कौन है अपना, जो हमको पार कर देगा। बदी को दूर कर दिल से, गुरू नेकी को भर देगा॥ गुरू की तू शरण ले ले, अमन जीवन सुधर जाए। गुरू एक रास्ता सीधा, इधर जाए,उधर जाए॥ सब कुछ तू लुटा उस पर, वो कर शीश धर देगा। गुरू […]
आओं बच्चों साथ चलें, हाथ में ले हम हाथ चलें॥ हिलमिल सबमें अपनापन और, प्रीत-प्यार की बात चले॥ मानव का मानव से नाता, सभी रहें एक,बनकर भ्राता॥ आपस में हो भाईचारा, देखो वक्त दूर से गाता॥ संयम,समता और समर्पण, सामूहिकता को अपनाएं॥ आई सम्मुख नई भोर को, चलो बढ़ें,हम पास […]
मेरे बदन से, तू लिपट तो गया है इश्क का फरेबी जाल गूंथकर अज़ीज दिलबर की तरह, मगर मुझे पता है कि,कुछ वक़्त गुज़रने पर तू वैसे ही मुझको खुद से अलग कर देगा.. जैसे- सफ़र से वापसी के बाद कोई अपना लिबास उतारकर, फेंक देता है बिस्तर पर.. या […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।