समय की रेत पर चलकर, हमें यह भी दिखाना है  फ़र्ज़ दोस्ती का अभी, हमें तो पूरा निभाना हैl     न सोच कि,टाँग फँसाकर, गिराता यह जहां हमको  कहीं पर साथ देता, कहीं मुंह फेरे ज़माना हैll                           […]

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पिता, पिता ही नहीं, पिता बनकर पिता रुप में, पिता एक बहुत ही महान आत्मा होती है कर्मठता यदि उसकी कुछ कर नहीं पाती है,तो अन्तरात्मा उसकी सिसक-सिसककर रोती है। पिता परिवार का मुखिया, पालनकर्ता है, इसलिए पिता भरसक यह कोशिश करता है कि, पेट अपना चाहे भरे,न भरे पर […]

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यूँ तो हमारे जीवन में छोटे-बड़े हादसे होते रहते हैं,जिन्हें हम भूल भी जाते हैं, और यदा-कदा याद भी कर लेते हैं, लेकिन,कुछ हादसे ऐसे होते हैं, जो संस्मरण बनकर हमारी स्मृतियों में गहरे पैठ जाते हैं। मेरे जीवन के स्मृति पटलसे ऐसा ही एक संस्मरण..         […]

  सावन रितु आई, बरसात की है झड़ी लगाई, झूले पड़ गए डाली-डाली, हर गौरी है इतराई। बिजुरी पागल-सी दमक रही, अँगड़ाइयाँ लीं बादल ने, झूमती-इठलाती गौरी ने, मदमस्त मदमाती पींग बढ़ाई। मौसम पागल, दीवाना-सा, पहन पायल कैसी हवा चलाई, रिमझिम बूँदें लगीं बरसने, दामिनी ने ज्योति चमकाई। अल्हड़ वर्षा […]

  स्वतंत्रता भली लगती है, जब उन्मुक्त स्वयं को पाएं पर हम बंधनहीन नहीं हैं, समय के समीचीन नहीं हैं भले ही पराधीन नहीं हैं, फिर भी हम स्वाधीन नहीं हैं। दफ्तर में अधिकारी का दबका, सच सदा ही लगता कड़वा सच पर हर पल झूठ का पहरा, देश पर […]

ह्रदय  को  वो  चाहे जितना  समझा ले, फिर भी तो  उसको  थोड़ा  दुःख  होगा। देखकर  हाथों  की  गीली  मेहँदी  को, आज स्वयं उसका मुख भी बेमुख होगाll               कंधे पर जो हाथ कभी  रखती  थी वो, हरी सौ चूड़ियों  से  कल भर  जाएगा। चढ़ा हुआ जो आंख तलक  एक आँसू, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।