जिंदगी तू मेरी गजल और मैं तेरा गीत बन जाऊँ, भा जाए जो तुझे, प्यासे मन का मीत बन जाऊँ। आती रहे सदाएं, यूँ ही बार-बार नजारे बनकर, नज्मों की कुछ किताब में बहार-ए- जीत बन जाऊँ। रहा जाए तुझमें,हर पल बजते हुए किसी साज में, सदाबहार गीतों की कसम, […]
जिंदगी है ये तो टेढ़े-मेढ़े रास्तों से होकर गुजरेगी, सुख और दुख क्या,यह तो सबमें होकर गुजरेगी। चलना भी आखिर कहाँ तक लिखा इस सफर में, जहाँ रुके कदम,वहीं नए रास्तों से होकर गुजरेगी। निराशा में ही आशा की लौ जलती है महसूस करो, है कुछ अगर उम्मीद,तो पर्वतों से […]
अपनी भी ख्वाबों की एक हसीन दुनिया होगी, सफर में मिले हमसफर वो रंगीन दुनिया होगी। जलाए बैठा हूँ आशा के दीप,सूने इस आंगन में, रोशन हो जाए ये घर ऐसी संगीन दुनिया होगी। तन्हा है जिंदगी,न साथी और न कोई दिलदार, निभा दे जो साथ तन्हाई में, नवीन दुनिया […]
आँसूओं के दरिया बहाने से कुछ नहीं होगा, उठ और कर संघर्ष,रोने से कुछ नहीं होगा। ये जहां तो ऐसे ही हँसता आया है दूसरों पर, मनाकर यूँ हार-जीत खोने से कुछ नहीं होगा। दिखा दे कि हिम्मत और हौंसले अभी बुलंद हैं, गवाँकर मौका चैन से सोने से कुछ […]
मत रुठ आज मुझसे मेरे हमजोली, खेलेंगे आज तो हम संग तेरे होली। आई है फिर ये रुत बड़ी ही सुहानी, न करना मेरी बातों से आनाकानी। आजा मेरी जां कहीं ये रैना न बीते, खेलेंगे आज तो हम संग तेरे होली। कौन-सा रंग मल दूँ तुझे जरा ये बता, […]
मैं किस हद तक जाउंगा, ये खुद नहीं जानता, किस मोड़ और रास्ते से जाउंगा,नहीं जानता। आने और जाने से क्या फर्क पड़ेगा किसी को, आवाज की दुनिया में किसी को नहीं जानता। परदा नहीं किसी से,जो मुँह फेर लूँगा बातों से, किसी से क्या गिला और शिकवा,नहीं जानता। दूर […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।