नारंग साहब के घर कन्या भोज चल रहा था। छोटी-छोटी कन्याओं को प्रेमपूर्वक भोजन करवाकर उनके पैर पूजे जा रहे थे। तभी मैं भी अपनी बेटियों के साथ वहाँ पहुंची। सभी बच्चियाँ खाने मे मशगूल थी। नारंग जी की बड़ी बहू खाना परोस रही थी। मैंने श्रीमती नारंग से पूछा-आज […]

यहां चेहरे पर भी चेहरे हैं, इंसानी राज बहुत गहरे हैं। दिल में आग लब पर गुलाब, लोग न जाने कहाँ आ ठहरे हैं। हाथ मिलाते हैं गर्मजोशी से, पर दिल में नफरत के बसेरे हैं। बोलते कुछ और करते हैं कुछ, लोगों के मिज़ाज़ यहां दोहरे हैं। इंसाफ के […]

चल दोस्त नदी के किनारे चलें, भागकर घर से, छुपते-छुपाते,बरगद तले चलें.. चल दोस्त नदी के किनारे चलें। वो मुंडेर,जहाँ बीता करते थे सारे दिन अपने, बैठ के बुना करते थे बड़े बनने के सपने.. उस सपने की सच्चाई से दूर लौट, अपने बचपन में चलें.. चल दोस्त नदी के […]

मुट्ठी भर सबल नारियों से, नारी नहीं हो सकती सबला.. देखो जाकर हर गली मोहल्ले, नारी की क्या हो रही दुर्दशा। है यह पुरूष प्रधान समाज, नारी को क्या महत्त्व देगा.. पैरों तले रौंदकर अपने, जख्मों से भरा उपहार देगा। वस्त्र हटा के अंग देख लो, किसी तुम दुखिया नारी का.. रक्त वर्ण […]

विश्व वन्दनीय वात्सल्य मूर्ति साकार, ‘माँ’स्वयं ही है एक परिपूर्ण संसार.. दूर करे जो मन के,सब क्लेश विकार। ‘माँ’ के स्पर्श में छिपा सुकून अपार, पहाड़-सी विपदा हो जाए बेड़ा पार. ‘माँ’ के आशीष से मिले सब संसार। चाहे सुख,या दुःख की बहे बयार, ‘माँ’के आँचल में दुआओँ की बहार.. […]

वे परसाईं जी के सबसे बड़े प्रेमी हैं, और परसाईं-प्रसाद बाँटने वाले इकलौते वितरक भी।जब भी वक्तव्य देते हैं,परसाईं से नीचे नहीं उतरते।आशय यह कि,परसाईं पूरी तरह उनके मुँह लग चुके हैं। इस बात को वे कई बार साबित भी कर चुके हैं। उनके पास परसाईं के हाथ की लिखी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।