पावन प्रकृति ने प्रातः में, पुनः जगाए प्राण, कोयल के कलरव ने छेड़ी,मधुर गीत की तान। छटा बिखेरी धरती माँ ने,आँचल अपना लहराया, दूर किया सूरज ने आकर,अंधियारा था गहराया। लाल चुनर ओढ़ा दिनकर,करता माँ का सम्मान, पावन प्रकृति ने प्रातः में……। नया सवेरा कई नई,आशाएँ लेकर आया, सच करने […]
आजादी का स्वप्न संजोया..अपनी खुशिंयाँ भूलकर, काट बेड़ियां भारत माँ की..चला निरंतर शूल पर। राष्ट्र दुलारा,आँख का तारा,शेर..ए बब्बर सरजमीं का, भगतसिंह बलिदान हुआ था..हंस फाँसी पर झूलकर। उम्र न जिसको रोक सकी थी..बारुदों के खेलों से, दाँत शेर के जो गिनता था..मौत स्वयं अनुकूल कर। राष्ट्र प्रेम का प्रखर […]