रामायण में आदिकवि,करते हैं उल्लेख।
रामराज्य के रूप को,खुले नयन मन देख।।
ग्यारह हजार वर्ष तक,रहे अवध श्रीराम।
बन्धु-बान्धवों संग ही,बना लोक सुख-धाम।।
रावण रुपी छ्ल मरण,हरण दंभ सब पाप।
सत्य सुयश का मार्ग ही,दिखलाते प्रभु आप।।
सीता माता के हृदय,नाथों के हैं नाथ।
मर्यादा पालक प्रभो,रहे सर्वदा साथ ।।
अनुगामिनी अनघ सिया,अचल अजर श्रीराम।
त्रास मिटाने हेतु ही ,प्रकट हुए इस धाम।।
आगे की जो भी कथा,दीन सिया का हाल।
परित्याग वन-गमन सब,क्षेपक करें कमाल।।
अवधी भाषा में रची,पूज्य बनी संसार।
रामचरित मानस सभी, करते अंगीकार।।
किन्तु अछूता कब रहा,कोई रचनाकार।
समय झलकता सृजन में,कहे लेखनी- धार।।
पूज्य रहेगें सर्वदा, अजर अमर भगवान।
कण-कण-प्रतिक्षण व्याप्त हैं,रहे सभी को ध्यान।।
मंजुल मंगल मोदमय,अवध बिहारी रुप।
म्लान हृदय को दे रहे,सुख सब सुयश अनूप।।
राम राम श्री राम हे, जगत पिता हो आप।
सदा विराजो उर ‘अधर’,मेटो जग संताप।।
#शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’
All the best
Bahut sundar rachna
Khubsurat dil ko chhune wali rachna