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`क्या साबित करना चाहते हो आखिर… पुरूषों को, चूड़ियाँ भेंट करके…..?` कायरता, नाकारापन,या कमजोरी का प्रतीक मानते हो….? भूल गए क्या…माँ…दादी के हाथ की, वो हरी काँच की चूड़ियाँ….? जो चूल्हे की आँच में तपकर, हो जाती थी..और मजबूत। रोटी थेपकर खेत भी खोद लेते थे, वो चूड़ी भरे हाथ….। […]

साहित्य सिर्फ समाज का दर्पण ही नहीं होता,बल्कि समाज को परिष्कृत कर नई दिशा भी सुझाता है….दिखाता है…..पहला कदम बढ़ाता है और इसके लिए साहित्यकार न जाने कितनी रातें और कितने दिन कुर्बान कर मानसिक रूप से वहाँ हो आता है ….उसको जी लेता है। सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव की […]

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  तुमसे है प्रेम कितना, यह नापने के लिए कोई पैमाना नहीं.. यह बताने के लिए, कोई शब्द भी नहीं.. कोई जतन भी नहीं यह तुम्हें जतलाने के लिए क्योंकि,तुम्हारे और मेरे शब्द व उनके अर्थ तुम्हारी व मेरी भाषा एक हो चुके हैंl   अब मैं तुम्हारी चुप्पी को […]

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हे श्रमजीवी तुम चलते जाना, खनन कर निज तृष्णाओं का.. तर्पण कर मन की दुर्बलताओं का भीति तुम्हारे देव नहीं हैं क्या कर्मों पर संदेह कहीं है? तिमिर राह को भेदकर बन्धु, विजयश्री पथ पर बढ़ते जानाl हे श्रमजीवी तुम चलते जानाll है बहुत जटिल यह जीवन रण, व्यथित करे […]

व्यथित है मेरी भारत मां,कैसे छंद प्यार के गाऊँ, कैसे मैं श्रृंगार लिखूं,कैसे तुमको आज  हंसाऊंl कलम  हुई आक्रोशित,शोणित आखर  ही लिख पाऊँ, वीर शहीदों की शहादत को,शत-शत शीश झुकाऊँll सिंदूर उजड़ गया माथे का,कंगना चूर-चूर टूटे, शहीद की विधवा के,पायल बिंदिया काजल छूटेl हृदय भी काँप गया,आँखों से खून […]

यशोमति खुश थी,पति डीएम बन गया था कि,चलो पास न सही दूर है,पर मेरे तो हैं..। भारतीय नारी की तरह सारे गम भुला चुकी थी। पति के इतने बरसों के बेरुख़ेपन के बावजूद ईष्ट का शुक्र मना रही थी। उम्मीद तो बिलकुल नहीं थी कि,उसका पति अपना लेगा,पास बुला लेगा। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।