(विश्व पर्यावरण दिवस पर) प्रकृति के खेल को कौन समझ पाया है, आनन्द तो सभी लेते,रक्षा कौन कर पाता है। उत्तराखंड के प्रहर ने कितनों को रुलाया है, पहाड़,जंगल काटकर रास्ता सभी ने बनाया है। बंद करो प्रकृति की सुंदरता को मिटाना, मिलकर सभी को यही कसम है खाना। प्रकृति […]

(पर्यावरण दिवस विशेष ) मूर्खता को छोड़ दो, काटकर तुम पेड़ को आनन्द उर में भर रहे। किस कदर अन्याय खुद की जाति से तुम कर रहे॥ त्याग दो यह बुद्धिमत्ता प्यार कर लो पेड़ से, वर्ना अपनी जिन्दगी को मौत से तुम जोड़ लो। मूर्खता को छोड़ दो..॥ भू-स्खलन […]

आतंकी उन्माद को, जो करता भयभीत। राघव के उस चाप को, है प्रणिपात विनीत।। निशाचरी आतंक ने, बोया भय,संत्रास। राम-चाप ने अभय का, मन्त्र,आत्मविश्वास।।                                                     […]

देखा है मैंने, भावना सत्य और न्याय को… अर्थ की तराजू मेंं तुलते पवित्र नैतिकता के सूर्य पर, सैकड़ों  प्रवंचनाओं के बादल- घिरते। मरीचिकाओं के रिश्वत केे बल झूठ को हँसते,सत्ता के हाथोंं- पुरस्कृत होते। सत्य को लांछित  हो सरेआम- असहाय रोते।                 […]

इस मेले में मेरी नज़र कुछ ढूँढती है, बहुत कुछ है यहां,फ़िर भी कुछ ढूँढती है। सागर है गहरा,रत्न भी निकले  हैं कई ठंडक भी बहुत है,मगर मीठापन कुछ ढूँढती है, इस मेले में मेरी नज़र…। भोग हैं छप्पन,रसभरे भी हैं, स्वाद लाजवाब,मगर नमक कुछ ढूँढती है, इस मेले में […]

(विश्व पर्यावरण दिवस विशेष) मुठ्ठी बांध सभी आते हैं, हाथ पसारे जाओगे। लेकिन एक पेड़ की लकड़ी साथ-साथ ले जाओगे। निज जीवन में एक वृक्ष के संरक्षण की शपथ लो, इतना भी न कर पाए तो जन्म-जन्म पछताओगे। मुठ्ठी बांध सभी आते हैं, हाथ पसारे जाओगे। लेकिन एक पेड़ की […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।