बिना बेटियों के सूनापन होता है घर-बार में। सारे जहान की खुशियाँ लाती बेटियाँ परिवार मेंll महके उनके होने से ही हर घर का हर कोना है। इतना प्यार बाँटती बेटी,फिर काहे का रोना हैll पालो इनको खूब दुलार से,मत करना कोई भूल। दुकान-बाजार में नहीं बिकता ये […]
सभ्य-श्रेष्ठ खुद को कहता नर करता अत्याचार। पालें-पोसें वृक्ष उन्हीं को क्यों काटे? धिक्कार। बोए बीज,लगाईं कलमें पानी सींच बढ़ाया। पत्ते,कली,पुष्प,फल पाकर मनुज अधिक ललचाया। सोने के अंडे पाने मुर्गी को डाला मार। पालें-पोसें वृक्ष उन्हीं को नित काटें? धिक्कार। शाखा तोड़ी,तना काटकर जड़ भी दी है खोद। हरी-भरी भू-मरुस्थली […]