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आंसू पी जाता हूँ अपने चट्टानों को तोड़ के मांगू तुझसे क्या ए नादाँ ‘मैं‘ ही इन रंगों का एक मात्र सृजन करता रे…. मेरा बचपन हुवा जवान कब जरूरतों की डाली पे फिर भी नभ पर द्रष्टि मेरी और तूफानों के मानिंद- टकराता नित् नित् चट्टानों से…. धुप में […]

हक़ वफा का हम जो जताने लगे, वो फिर बातों से हमें बहलाने लगे। हमने समझा सनम तुम को नादां, तुम हमको हमीं से चुराने लगे। बिताए न बीते तुम बिन एक पल, वो घड़ियाँ मिलन की गिनाने लगे। सनम ये जां भी है तुम पे निसार, वो शहीदों में […]

मैं हूँ प्राणी बिल्कुल सीधा-साधा, न झूठी क़समें,न झूठा वादा। मेहनतकश,आम आदमी-सा मैं, काम-से-काम,न धोखे का इरादा। हमेशा सीधेपन पर,मुझे गया ठगा, पर मालिकों से,किया न कभी दगा। जिंदगी गुज़ारी साधारण-सी, पेट मेरा भरा रहा सदा आधा। अब मुझे बनाया चुनावी हथियार, जैसे बनता है हर बार आदमी सीधा। भूख,धर्म,जातिवाद के […]

गधे के भी चर्चे चहुंओर होने लगे, इसकी वफादारी से प्रेरणा लेने लगे। समय के मोल का बोध कराते गधे, इसकी योग्यता पर अच्छे तंज कसे। हमारी वाणी पर थोड़ा संयम रखें, शब्दमाला में सकारात्मकता झलके। पहले सामने वाले की योग्यता देख लें, चाहे इंसान हो या पशु-पक्षी या गधे। […]

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शरारती आँखें, कुछ कहती हैं.. तुझसे मेरी। चल चलें, गगन के पार छोड़ धरा के.. नियम कानून। बस हो तू और मैं, उस जहाँ कोई और न हो। बस हो प्यार ही प्यार शरारती आँखें….  #नेहा लिम्बोदिया परिचय : इंदौर निवासी नेहा लिम्बोदिया  की शिक्षा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से  पत्रकारिता […]

आज अपराधी यहाँ बढ़ रहे, क्रोध-कपट की चाहत है।.. नरसंहार और प्रहार से ये धरती माता आहत है। मस्तक में हो चंद्र शीतलता, इसके लिए तुम कुछ तो बोलो.. अभिमान के वंशज बढ़ गए, भोले अब त्रिनेत्र खोलो। भावों में बढ़ रही मलिनता, रह न पाती कहीं पवित्रता.. ऊंच-नीच और […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।