नज़र की क्या कहें अब तो ज़िगर भी हो गए पत्थर। कहाँ बू-ऐ-वफा खोई कि रिश्ते हो गए पत्थर।। खुदा भी बेबसी में शब-सहर रोया यकीनन है। दरख्तों पे खिले कुछ फूल भी जब हो गए पत्थर।। बड़ी उम्मीद लेकर मैं चली आई सुनो प्यारे। मगर थी क्या खबर जज्बात […]

क्रंदन मन आँ खों के आँसू , कैसे भला छिपाऊँ मैं। रोती घाटी चीख रही है, कैसे चुप हो जाऊँ मैं।। अपने घर के गद्दारों ने, इसको घायल कर डाला। आतंकी हमलों ने इसका, खूनी आँचल कर डाला।। सत्ता की चाहत में नेता, कैसे चुप हो जाते हैं। राजनीति के […]

‘बहना’ कभी आँसूओं के संग मत बहना, हमेशा हर घड़ी संग-संग रहना। भइया है तुम्हारा सबसे प्यारा, मम्मी नहीं तो क्या हुआ,भइया की परी हो। जिम्मेदारियाँ तुम्हारी सब निभाएगा, बालों में कंघी,माथे पर बिन्दी, होंठों पर मुस्कान वापस लाएगा। मम्मी की तरह मैं हूँ अब,तू पहले खाएगी फिर मैं देखकर […]

भाईचारा,दर्द,मुहब्बत बिकता है ईमान मियाँ। दुनिया के बाज़ार में तुम भी बन जाओ सामान मियाँ।। गैरों को भी अपनाने का हुनर सीखना पड़ता है। मुश्किल बड़ा फरिश्ता बनना, बन जाओ इंसान मियाँ।। आवाज़ों के इस जंगल में भीतर का स्वर सुनना है। आँखें बंद भले हों,लेकिन रखो खोलकर कान मियाँ।। […]

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खो सा गया वो दुनिया के मेले में, पास था कितना अपने वो अकेले में। भुलाकर वो खुद को खुद, पड़ा वो दुनिया के झमेले में। क्यों है तन्हा तू अब भी,संग दुनिया, रहकर भी सोचता है वो अकेले में। इससे बेहतर तो तू तब था जब तू, खोया था […]

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मन का दर्पण देख नर,बाहर भरम अथाह। भेद मिटे सारे सहज, अटल रहे उत्साह।। दर्पण को देखा हुआ, मायावरण विमोह। मन की खिड़की जब खुली,मिटा भरम सब मोह।। दर्पण दर्शन सूरत अरु,बाल क्रिडन त्रय ठाम। भूले से नहि आत है,हरि वल्लभ कौ नाम।। सत्य कहाँ दर्पण कहे,मनचीता कह पाय। मन […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।