कभी मत सोचना साजन हिया से दूर जाने कीll पिया से दूर रहकर क्यों जिया बेचैन होता है, मनोरथ व्यर्थ हो जाता किसी का चैन खोता है। हृदय में चाह रहती है सदा प्रिय को लुभाने कीll चली ठंडी हवा देखो लिए मधुगन्ध फूलों की, […]
varma
सभ्य-श्रेष्ठ खुद को कहता नर करता अत्याचार। पालें-पोसें वृक्ष उन्हीं को क्यों काटे? धिक्कार। बोए बीज,लगाईं कलमें पानी सींच बढ़ाया। पत्ते,कली,पुष्प,फल पाकर मनुज अधिक ललचाया। सोने के अंडे पाने मुर्गी को डाला मार। पालें-पोसें वृक्ष उन्हीं को नित काटें? धिक्कार। शाखा तोड़ी,तना काटकर जड़ भी दी है खोद। हरी-भरी भू-मरुस्थली […]