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कभी मत सोचना साजन हिया से दूर जाने कीll   पिया से दूर रहकर क्यों  जिया   बेचैन   होता  है, मनोरथ व्यर्थ हो जाता किसी का चैन  खोता है।   हृदय में चाह रहती है सदा प्रिय को लुभाने कीll   चली ठंडी हवा देखो  लिए मधुगन्ध फूलों की, […]

मैंने देखी ही नहीं, रंगों से रंगी दुनिया कोl मेरी आँखें ही नहीं, ख्वाबों के रंग सजाने को| कौन आएगा,आँखों में समाएगा, रंगों के रूप को जब दिखाएगा रंगों पे इठलाने वालों, डगर मुझे दिखाओ जरा चल संकू मैं भी अपने पग से, रोशनी मुझे दिलाओ जरा ये हकीकत है […]

देशवासियों जागो जागो, सबको अब जग जाना है। मायूसी और अंधकार को, मिलकर दूर भगाना है॥ ढोंगी बाबाओं से दूर रहो, चक्कर में फिर न,आना न। मृत्यु भय से डर जाना न, मकड़जाल में फंस जाना न॥ ये भक्तों ,श्रद्धालु को लूट, विश्वासघात कर जाते हैं। योगी से बन कर […]

देश की  मेरे  सुबह  अनोखी  कितनी  प्यारी शाम है। हर रज कण चन्दन-सा पावन शोभा अमित ललाम है ll यहाँ हिमालय गंगा-यमुना, मुम्बई है चौपाटी है… कण-कण में फैली हरियाली, चन्दन जैसी माटी है। साँझ सुहानी  निशा  सलोनी  भोर  बड़ी अभिराम है। हर रज कण चन्दन-सा पावन शोभा अमित ललाम […]

(नागपंचमी विशेष) एक जानकारी के मुताबिक उड़ने वाले सांपों की प्रजाति का पता चला है। दक्षिण अमेरिका में इस प्रकार की प्रजाति के सांप के फन अवशेष शोधकर्ताओं को प्राप्त हुए हैं। टेरासोर की नई  प्रजाति को `ऑलकारेन` नाम दिया गया। शोधकर्ताओं का प्रमुख उद्देश्य उड़ने वाले सांप समूह की उत्पति व […]

सभ्य-श्रेष्ठ खुद को कहता नर करता अत्याचार। पालें-पोसें वृक्ष उन्हीं को क्यों काटे? धिक्कार। बोए बीज,लगाईं कलमें पानी सींच बढ़ाया। पत्ते,कली,पुष्प,फल पाकर मनुज अधिक ललचाया। सोने के अंडे पाने मुर्गी को डाला मार। पालें-पोसें वृक्ष उन्हीं को नित काटें? धिक्कार। शाखा तोड़ी,तना काटकर जड़ भी दी है खोद। हरी-भरी भू-मरुस्थली […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।