सच की हिम्मत पा के लिख, अपनी जिद में जा के लिख। रक्त सभी का जाम हुआ, अब तो आग लगा के लिख। राणा-सा है बल तुझमें, घास-रोटियाँ खा के लिख। बहुत फूल बरसाए हैं, अब तलवार उठा के लिख। स्याही कम पड़ जाए तो, अपना खून बहा के लिख। […]
devendra
संसार अगर एक रंगमंच है, तो हां, मैं उसका एक पात्र.. मुखौटा,चरित्र,किरदार,अभिनय और भूमिका हूँ। बचपन,जवानी,वृद्धावस्था, के पड़ावों से गुजरती जिन्दगी.. के बीच मैं कब पुत्र से पिता, दादा,नाना,मामा और चाचा.. बन जाता हूँ, कुछ पता ही नहीं चलता। पात्रों की जरूरत के हिसाब से, भूमिकाओं को निभाते-निभाते.. मैं अपने […]