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वर्त्तमान को छोड़कर, भविष्य के बारे में सोचा /
और हंसती हुई जिंदगी को, बिना खुशियों के यू ही गमाया /
और सजा सजाया वर्तमान को I
भविष्य और बुढ़ापे के नाम पर, यू ही गमाया /1I
ज़िन्दगी से लम्हे चुरा कर, बटुए मे रखता रहा I
फुरसत से खर्च करूँगा , बस यही सोचता रहा।
उधड़ती रही पेन्ट की जेब, करता रहा तुरपाई I
फिसलती रही जिंदगी की खुशियाँ, करता रहा जुड़ाई I2I
एक दिन फुरसत पायी, और सोचा …….?
खुद को आज रिझाऊं, और बरसों से जो जोड़ा I
वो लम्हे खर्च कर आऊं, खोला बटुआ…..I
तो वो लम्हे न थे, जाने कहाँ रीत गए वो /३/
मैंने तो खर्चे किये नही, फिर जाने कैसे बीत गए I
फुरसत मिली तो सोचा, क्यों न आज खुद से ही मिल लू I
आईने में देखा जो, तो पहचान ही न पाया ।
ध्यान से देखा की बालों पे ,चांदी सा चढ़ा आया /4/
था तो मुझ जैसा, पर न जाने कौन सामने खड़ा था /
आँखों में धुंदलापन होने से , खुद को ही न पहचान पाया /
फिर चश्मा लगाया , तब जाकर खुद को पहचाना /
फिर सोचा की मैंने पूरी उम्र, वर्त्तमान को छोड़ /
भविष्य के चक्कर में यूही गमा दी / ५/
अब सोच सोच कर हँसता, और साथ ही रोता हूँ /
की में इस जीवन के, खेल को समझ ही नहीं पाया /
और अपनी हंसती खिल खिल्लती जिंदगी को /
भविष्य के नाम पर बिना वजह यूं ही गमाया /६/
साथियो हम सभी लोगो की यही धारणा है की, भविष्य के लिए कुछ बचाये / इसी चक्कर में हम और आप फसकर अपना पूरा वर्त्तमान की नहीं परेशानियां होते हुए भी उसे परेशानियों की तरह खुद बनाकर , अपनी हंसती खिलखिलाती जिंदगी को बेकार में गमा देते है , वो भी सिर्फ भविष्य के नाम पर / जबकि हमें पता है की ;-
पूत कपूत तो क्यों धन संचय /
और पूत सपूत तो क्यों धन संचय //
जवानी सुखी रोटियों में गुजर दी /
और बुढ़ापा आया , तो कुछ खा ही नहीं पाया /
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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