(कासगंज घटना पर आधारित)
जय हिंद बोलने से, पहले अब लगता है डरl न जाने कहाँ से बरस, जाएगा अब कहरll
सियासी दांव में आया है,
अब खतरे का हर पहरl न जाने कौन-से चंदन को, खाएगा ये मजहबी शहरll
पानी से ज्यादा आज, रक्त की बह रही है नहरl कवि की कलम में उठी है, आज प्रतिशोध की लहरll
क्यूँ चुप है आज नेता,चुनाव
में तो उगलते हैं बड़ा जहरl क्या दिन आया है जय हिंद, बोलने से पहले लगता है डरll
परिचय: आरती जैन राजस्थान राज्य के डूंगरपुर में रहती है। आपने अंग्रेजी साहित्य में एमए और बीएड भी किया हुआ है। लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई दूर करना है।