Read Time1 Minute, 41 Second
ऋतुराज वसंत प्यारी-सी आई,
पीले-पीले फूलों की बहार छाई।
प्रकृति में मनोरम सुंदरता आई,
हर जीव जगत के मन को भाई।
वसुधंरा ने ओढ़ी पीली चुनरिया,
मदन उत्सव की मंगल बधाईयाँ।
आँगन रंगोली घर-द्वार सजाया,
शहनाई ढोल संग मृदंग बजाया।
वसंत पंचमी का उत्सव मनाया,
मां शारदे को पुष्पहार पहनाया।
पुष्प दीप से पूजा थाल सजाया,
माँ की आरती कर शीश झुकाया।
शीश मुकुट हस्त वीणा धारिणी,
ज्ञान की देवी है सरगम तरंगिणी।
विमला विद्यादायिनी हंसवाहिनी,
‘रिखब’ को दिव्य बुद्धि प्रदायिनी॥
#रिखबचन्द राँका
परिचय: रिखबचन्द राँका का निवास जयपुर में हरी नगर स्थित न्यू सांगानेर मार्ग पर हैl आप लेखन में कल्पेश` उपनाम लगाते हैंl आपकी जन्मतिथि-१९ सितम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-अजमेर(राजस्थान) हैl एम.ए.(संस्कृत) और बी.एड.(हिन्दी,संस्कृत) तक शिक्षित श्री रांका पेशे से निजी स्कूल (जयपुर) में अध्यापक हैंl आपकी कुछ कविताओं का प्रकाशन हुआ हैl धार्मिक गीत व स्काउट गाइड गीत लेखन भी करते हैंl आपके लेखन का उद्देश्य-रुचि और हिन्दी को बढ़ावा देना हैl
Post Views:
448