वर्तमान परिदृश्य में देखें तो भारत के सबसे अधिक लोगों के बीच अभिव्यक्ति का,विचार प्रेषित करने का माध्यम हिन्दी भाषा ही है,पर वह सिमटती जा रही है। उसका क्षेत्र कम हो रहा है। आजादी के वक्त जहाँ हिन्दी सम्पूर्ण उत्तर भारत में लोकप्रिय थी और संविधान निर्माताओं ने लक्ष्य रखा था कि हिन्दी को आने वाले कुछ दशकों में पूरे भारत की भाषा बनाएंगे जिसमें भारत का प्रत्येक व्यक्ति अच्छे से हिन्दी बोलेगा,लिखेगा व पढ़ सकेगा,परन्तु पूर्ववर्ती सरकारों की अंग्रेजी भक्ति व क्षेत्रिय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के झूठे दावों के परिणाम स्वरुप आज हिन्दी अपना पूर्व रुप भी खो बैठी है। दक्षिण पूर्वी भारत तो दूर,अपने मूल क्षेत्र मध्य भारत से भी हिन्दी अपनी जमीन से खिसक रही है। नई पीढ़ी में हिन्दी मात्र घर की भाषा बनकर रह गई है, जिसमें बड़े-बुजुर्गों से बातचीत तक हिन्दी को सीमित कर दिया गया है, उसमें भी अंग्रेजी के शब्दों का समावेश होना आम बात है। विद्यालयों में आज हिन्दी अनिवार्य होते हुए भी ऐच्छिक विषय बनकर रह गई है। अध्यापक हिन्दी पर ध्यान नहीं देते,उसे मात्र उत्तीर्ण होने तक सीमित रखा है,तो कॉन्वेंट स्कूलों ने हिन्दी को निचले पायदान पर खिसका दिया है। त्रिभाषा सूत्र के होते हुए भी वह द्वितीय भाषा के रुप में जर्मन,फ्रेंच जैसी यूरोपियन भाषाओं को महत्व देते हैं,उनका लक्ष्य भारतीयों की संस्कृति-सभ्यता में पाश्चात्य विचार व सिद्धांत घोलना है,जिसका सरल व सहज माध्यम भाषा है। हिन्दी के कम होते इस परिक्षेत्र को दृष्टिगत रखते हुए भाषा चिंतकों को इस विषय में सोचना चाहिए कि,हमारा उद्देश्य किसी भाषा को राष्ट्र से खत्म करना नहीं,न ही विदेशी भाषा का बहिष्कार है। हमारा उद्देश्य है हिन्दी को बढ़ाना,क्योंकि प्रत्येक भाषा का स्वतंत्र वजूद होता है और उसका अपना साहित्य,जो हजारों लोगों के बीच लोकप्रिय होता है,किन्तु जब कोई अन्य भाषा हमारे क्षेत्र पर अपना इतना प्रभाव जमा ले कि निज भाषा अपना स्थान खो दे तो चेतने की आवश्यकता है। इसके लिए सभी तरह से कोशिश की जाए। इसमें सभी का साथ लिया जाए,खास तौर पर अपनों का,क्योंकि साथ सदैव अपने ही देते हैं। परायों ने तो आज तक घर ढहाने का ही कार्य किया है,इसलिए तो कहा गया है-
‘निज भाषा उन्नति अहे सब उन्नति को मूल…।’
#गौरव जैन ‘शुद्धात्म’
परिचय: गौरव जैन ‘शुद्धात्म’ ,बीए में अध्ययनरत है। कोटा(राजस्थान) निवासी गौरव को धार्मिक काव्य लिखने का बहुत शौक है। गद्य लिखने का प्रयास भी करते हैं।