Read Time4 Minute, 27 Second
कौन है तू,कभी तो मुझसे भी मिल जरा,
भगवान मान मन्दिर में आठ याम तुझको पूजा।
दिया खुदा का नाम,दिनभर नमाज अदा की,
शबद कीर्तन में सुबहो-शाम तुझको याद किया।
गिरजों के घण्टों ने न जाने कितनी बार तुझे पुकारा,
प्रकृति,ईश्वर,खुदा,भगवान,गॉड न जाने कितने नामों से तुझे पुकारें।
पर कौन है तू,कभी तो मुझसे भी मिल जरा॥
पूजे दुनिया तुझे न जाने कितने ही कितने प्रकार,
तू है कहीं प्रत्यक्ष या है तू वास्तव में केवल निराकार।
केवल सोच में ही रहता है या होगा भी तू कभी स्वप्न साकार,
मंजिल के रुप में भी कभी मिलेगा या
है केवल रास्ता ही बनेगा पारावार।
पर कौन है तू,कभी तो मुझसे भी मिल जरा॥
बल,ताकत,शक्ति,चमत्कार,आश्चर्य सब है तुझमें,
तेरी आलौकिक-पारलौकिक कथाओं पर भी भरम नहीं।
है तू साकार-निराकार,आकार-प्रकार में कई रूप भी,
पर कोई तो ऐसा प्रमाण दे कि कोई भरम न रहे जन के मन भी।
कौन है तू,कभी तो मुझसे भी मिल जरा॥
है इस लोक का या ब्रह्माण्ड में कहीं
ओर है तेरा आशियाना,
रहे तू कहीं भी पर पाना चाहे तुझे ही ये सारा जमाना।
जीकर-मरकर भिन्न-भिन्न जतन कर भी चाहे तुझको रिझाना,
स्वर्ग मोक्ष जन्नत परमात्मा के रूप में
चाहे तुझको अपनाना।
पर कौन है तू,कभी तो मुझसे भी मिल जरा॥
है तू अपना या रिश्तों के भँवर में है तू सिर्फ पराया,
है तू किस रूप का ! कौन-सी मां ने तुझको आखिर है जाया।
धूप भी तुझ पर पड़ती है या है तू अंधकारों में भी बनता सिर्फ साया,
काया का भी खेल है तेरा या है केवल माया ही माया।
पर कौन है तू,कभी तो मुझसे भी मिल जरा॥
कला से मिलेगा या विज्ञान के प्रयोगों से खोजूं तुझे,
रास्ते हैं कितने ही कोई एक रास्ता तो दिखला तू मुझे।
मानव बना बुद्धिमानी के शिखर पर बिठाया तूने मुझे,
दी प्रगति इतनी परन्तु तेरा ज्ञान न दिया अब तक मुझे।
पर कौन है तू,कभी तो मुझसे भी मिल जरा॥
मिथ्या-सत्य के संसार में कौन-सा है
तेरा वास्तविक रुप,
साकार निराकार के खेल में कुछ तो बता तेरा प्रारुप।
कुछ और नहीं तो बस यह बतला दे
है तू किसके समरुप,
कोई न कोई तो तेरा भी हो अक्ष,मन पर बने जो इस जगरुप।
पर कौन है तू,कभी तो मुझसे भी मिल जरा॥
भय,वीरता,भक्ति,वात्सल्य,श्रृंगार
किसमें है श्वास तेरा,
जीव-वनस्पति गोचर-अगोचर किस-किसमें है वास तेरा।
अवध,काबा,यरुशलम कुछ तो बता
कहाँ निवास तेरा,
कण-कण में या इस जग के जन-जन में
मैं बस मान लूँ विश्वास तेरा।
पर कौन है तू,कभी तो मुझसे भी मिल जरा॥
#दुर्गेश कुमार
परिचय: दुर्गेश कुमार मेघवाल का निवास राजस्थान के बूंदी शहर में है।आपकी जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी है। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ली है और कार्यक्षेत्र भी शिक्षा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। विधा-काव्य है और इसके ज़रिए सोशल मीडिया पर बने हुए हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी की सेवा ,मन की सन्तुष्टि ,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है।
Post Views:
531